रविवार, 26 सितंबर 2021

अध्यक्ष पद प्रत्याशी श्री अनिल शर्मा ने जबलपुर-संपर्क में अपने साथ साथ युवा महासभा अध्यक्ष पद प्रत्याशी शिवम पगारे, महिला महासभा की प्रत्याशी श्रीमति अनिता राजवैद्य के लिए समर्थन मांगा..!


*अनिल शर्मा प्रत्याशी महासभा अध्यक्ष पद का जबलपुर आगमन हुआ उनके साथ श्री महेंद्र शुक्ला श्री सुभाष कैशवरे, श्री योगेश कोटवाले, श्री लक्ष्मीकांत पारे श्री प्रफुल्ल शर्मा श्री प्रदीप शर्मा उपस्थित हुए*

अध्यक्ष पद प्रत्याशी श्री अनिल शर्मा ने जबलपुर-संपर्क में अपने साथ साथ युवा महासभा अध्यक्ष पद प्रत्याशी शिवम पगारे, महिला महासभा की प्रत्याशी श्रीमति अनिता राजवैद्य के लिए भी  समर्थन मांगा..!
एक बार पुनः जबलपुर इकाई ने एकात्मता एवं आपसी समन्वय की मिसाल देते हुए अतिथियों को सम्मान स्नेह और आशीर्वाद यथा योग्य प्रदान किया। सबसे पहले माननीय पूज्य प्रोफ़ेसर योगेश ऊपरीत जी अतिथियों ने सौजन्य मुलाकात की तदुपरांत संस्कार सिटी के निर्माणाधीन भवन का अवलोकन किया । समाज के निर्माणाधीन प्रकल्प में भविष्य में सामाजिक सहयोग के संबंध में आदरणीय श्री महेंद्र शुक्ला ने हम सबको आशान्वित किया है और यह भी कहा है कि जबलपुर में यह कार्य अन्य स्थानों के लिए इसलिए भी अनुकरणीय है क्योंकि महानगरों में भवन का निर्माण करना ही अपने आप में एक कठिन संकल्प होता है। प्रत्याशी महोदय के साथ समस्त अतिथि पूज्य बाबूजी नार्मदीय शिरोमणि श्रीयुत काशीनाथ जी बिल्लोरे जी से उनके निवास पर मिले । जहां से सतीश बिल्लोरे एवम पूज्य बाबूजी ने श्रीफल से प्रत्याशी श्री अनिल शर्मा जी के साथ साथ सभी अतिथियों को सम्मानित किया। शाम 6:00 बजे होटल पंचवटी गौरव में आयोजित  बैठक में श्री योगेश उपरित, श्रीयुत चंद्रशेखर पारे श्री एम एल जोशी श्री आर एस पारे, श्रीमती चित्रा शर्मा श्री  नंदकिशोर जोशी श्रीमती शशिबाला पारे श्री संजय पारे, श्रीमती रेखा टेमले, श्रीमती ममता पगारे श्री सुरेश पाराशर जी श्री अशोक पारे श्री राजेश बिल्लोरे, श्री सौरभ पारे श्री यश पारे, श्री उमेश पगारे शिवम श्री काशिव जी की मौजूदगी में सौजन्य समागम का आयोजन किया गया। समाज की ओर से वरिष्ठ जनों ने शॉल श्रीफल देकर प्रत्याशी श्री अनिल शर्मा जी को सम्मानित किया जबकि श्री अनिल शर्मा जी ने समाज के प्रति उपस्थित वरिष्ठ जन के प्रति सम्मान प्रसून देखकर तथा तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। जबलपुर इकाई की ओर से सभी वरिष्ठ जनों एवं उपस्थित जनों ने श्री अनिल शर्मा को आशीर्वचन भी दिए। इसके पूर्व अनिल शर्मा जी की उपलब्धियों एवं व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर  श्री महेंद्र शुक्ला जी एवं गिरीश बिल्लोरे द्वारा प्रकाश डाला गया। श्री महेंद्र शुक्ला जी बताया कि कम बोलने वाले किंतु कर्मठ एवं समाज के किसी भी हिस्से में जरूरत होने पर संवेदित होने वाले जल्द  पहुंचने वाले प्रत्याशी अनिल शर्मा जी की कार्य क्षमता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
जबलपुर इकाई द्वारा नर्मदा दर्शन एवं श्री शर्मा की सफलता हेतु स्वस्तिवाचन पंडित शत्रुघ्न दुबे द्वारा ग्वारीघाट उमा घाट पर कराया गया।
समस्त कार्यक्रम परम पूज्य श्रीयुत योगेश उपरित जी एवम अध्यक्ष श्री अरविंद गीते जी के मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से आयोजित किया गया

रविवार, 19 सितंबर 2021

कार्यकारणी

 नार्मदीय ब्राह्मण समाज जबलपुर एक पंजीकृत गैर सरकारी संगठन है जिसका पंजीयन क्रमांक ........................... है । संस्था की कार्यकारणी का कार्यकाल त्रि-वर्षीय है । कोविड 19 के कारण चुनाव / मनोनयन प्रक्रिया विलंब से प्रारम्भ हुई है । विस्तृत जानकारी शीघ्र प्रस्तुत होगी 

नार्मदीय ब्राह्मण समाज की गतिविधियों पर आधारित सामाजिक वीडियो :-

 श्रीमती सरिता जी साकल्ले द्वारा निशुल्क श्री गणेश जी की प्रतिमा का वितरण किया जाता है।इस वर्ष उन्होंने 150 प्रतिमा का वितरण किया था। नर्मदा प्रखर से साभार

नर्मदा मंदिर सह संस्कार केंद्र के लिए दान कीजिये

 


हमारी परियोजनाएँ नर्मदा मंदिर सह संस्कार केंद्र

 

नर्मदा मंदिर सह संस्कार केंद्र
संस्कार - सिटी सूरतलाई , दमोह रोड जबलपुर
मध्य-प्रदेश 
  1. उद्देश्य :- 
  2. क्षेत्रफल :-
  3. अनुमानित व्यय:-
  4. दान  से प्राप्त राशि समग्र  :- 
  5. दानदाताओं की सूची :- 
  6. दान कैसे करें :- 

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आदि गुरु शंकराचार्य रचित हिंदी काव्यानुवाद सहित

 


(आदि शंकराचार्यरचित हिंदी काव्यानुवाद सहित)

सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरङ्गभङ्गरञ्जितं

द्विषत्सु पापजातजातकारिवारिसंयुतम्।

कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥1

त्वदम्बुलीनदीनमीनदिव्यसम्प्रदायकं

कलौ मलौघभारहारि सर्वतीर्थनायकम्।

सुमच्छकच्छनक्रचक्रचक्रवाकशर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥2

महागभीरनीरपूरपापधूतभूतलं

ध्वनत्समस्तपातकारिदारितापदाचलम्।

जगल्लये महाभये मृकण्डसूनुहर्म्यदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥3

गतं तदैव मे भवं त्वदम्बुवीक्षितं यदा

मृकण्डसूनुशौनकासुरारिसेवि सर्वदा।

पुनर्भवाब्धिजन्मजं भवाब्धिदुःखवर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥4

अलक्षलक्षकिन्नरामरासुरादिपूजितं

सुलक्षनीरतीरधीरपक्षिलक्षकूजितम्।

वसिष्ठसिष्टपिप्पलादिकर्दमादिशर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥5

सनत्कुमारनाचिकेतकश्यपादिषट्पदैः

धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदैः।

रवीन्दुरन्तिदेवदेवराजकर्मशर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥6

अलक्षलक्षलक्षपापलक्षसारसायुधं

ततस्तु जीवजन्तुतन्तुभुक्तिमुक्तिदायकम्।

विरञ्चिविष्णुशङ्करस्वकीयधामवर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥7

अहोऽमृतं स्वनं श्रुतं महेशकेशजातटे

किरातसूतवाडवेषु पण्डिते शठे नटे।

दुरन्तपापतापहारिसर्वजन्तुशर्मदे

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥8

इदं तु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये सदा

पठन्ति ते निरन्तरं न यान्ति दुर्गतिं कदा।

सुलभ्य देहदुर्लभं महेशधामगौरवं

पुनर्भवा नरा न वै विलोकयन्ति रैरवम्॥9

त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

इति श्रीमदशंकराचार्य स्वामी विरचितं नर्मदाष्टकं सम्पूर्णं ।

 


श्रीमद आदि शंकराचार्य रचित नर्मदाष्टक

हिन्दी पद्यानुवाद द्वारा संजीव 'सलिल'

 

उठती-गिरती उदधि-लहर की, जलबूंदों सी मोहक-रंजक

निर्मल सलिल प्रवाहितकर, अरि-पापकर्म की नाशक-भंजक

अरि के कालरूप यमदूतों, को वरदायक मातु वर्मदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.१.

 

दीन-हीन थे, मीन दिव्य हैं, लीन तुम्हारे जल में होकर.

सकल तीर्थ-नायक हैं तव तट, पाप-ताप कलियुग का धोकर.

कच्छप, मक्र, चक्र, चक्री को, सुखदायक हे मातु शर्मदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.२.

अरिपातक को ललकार रहा, थिर-गंभीर प्रवाह नीर का.

आपद पर्वत चूर कर रहा, अन्तक भू पर पाप-पीर का.

महाप्रलय के भय से निर्भय, मारकंडे मुनि हुए हर्म्यदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.३.

 

मार्कंडे-शौनक ऋषि-मुनिगण, निशिचर-अरि, देवों से सेवित.

विमल सलिल-दर्शन से भागे, भय-डर सारे देवि सुपूजित.

बारम्बार जन्म के दु:ख से, रक्षा करतीं मातु वर्मदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.४.

 

दृश्य-अदृश्य अनगिनत किन्नर, नर-सुर तुमको पूज रहे हैं.

नीर-तीर जो बसे धीर धर, पक्षी अगणित कूज रहे हैं.

ऋषि वशिष्ठ, पिप्पल, कर्दम को, सुखदायक हे मातु शर्मदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.५.

 

सनत्कुमार अत्रि नचिकेता, कश्यप आदि संत बन मधुकर.

चरणकमल ध्याते तव निशि-दिन, मनस मंदिर में धारणकर.

शशि-रवि, रन्तिदेव इन्द्रादिक, पाते कर्म-निदेश सर्वदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.६.

 

दृष्ट-अदृष्ट लाख पापों के, लक्ष्य-भेद का अचूक आयुध.

तटवासी चर-अचर देखकर, भुक्ति-मुक्ति पाते खो सुध-बुध.

ब्रम्हा-विष्णु-सदा शिव को, निज धाम प्रदायक मातु वर्मदा.

चरणकमल में नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.७.

 

महेश-केश से निर्गत निर्मल, 'सलिल' करे यश-गान तुम्हारा.

सूत-किरात, विप्र, शठ-नट को,भेद-भाव बिन तुमने तारा.

पाप-ताप सब दुरंत हरकर, सकल जंतु भाव-पार शर्मदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.८.

 

श्रद्धासहित निरंतर पढ़ते, तीन समय जो नर्मद-अष्टक.

कभी न होती दुर्गति उनकी, होती सुलभ देह दुर्लभ तक.

रौरव नर्क-पुनः जीवन से, बच-पाते शिव-धाम सर्वदा.

चरणकमल मरण नमन तुम्हारे, स्वीकारो हे देवि नर्मदा.९.

 

श्रीमदआदिशंकराचार्य रचित, संजीव 'सलिल' अनुवादित नर्मदाष्टक पूर्ण.

 

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